Chandil Dam | पूरी जानकारी हिन्दी में

परिचय.

चांडिल डैम - झारखण्ड का सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। इस डैम को बनाया गया है स्वर्ण रेखा नदी के अपर। चांडिल डैम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए। और यहां पर पत्थर पर बनी कई सारी मूर्तियां पाई गई है, लोगों का मानना है कि ये मूर्तियां करीब 2,000 साल पुरानी है। इन प्रतिमाओं को चांडिल डैम के संग्रहालय (शीशमहल ) पर सुरक्षित रखा गया है।इसके अलावा चांडिल डैम झारखण्ड का सबसे बड़ा डैम भी है, और ये डैम मौजूद है Jharkhand राज्य के Seraikela district में चांडिल नामक जगह पर।



चांडिल डैम को बनाने का सबसे बड़ा कारण था, फैक्ट्रियां और गांव/शहरों में पीने का साफ पानी पोहुंचना। और साथ ही साथ बाढ़ को नियंत्रण करना।हालांकि इस डैम में विद्युत बनाने का भी पूरा system लगा हुआ है। पर किसी कारण के चलते आज तक भी बिजली project को नहीं शुरू किया जा सका है।


History of chandil dam ( चांडिल डैम का इतिहास)

Chandil dam को तीन राज्यों की सरकारों ने मिलकर बनाया है, झारखण्ड, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल। इस मेगा प्रोजेक्ट का समझौता हुआ था साल 7-8-1978 को।
ये वह समय था जब झारखण्ड बिहार का ही हिस्सा हुआ करता था। इसलिए कहना गलत होगा कि इस डैम को झारखण्ड सरकार द्वारा बनाया गया है।
Chandil dam का निर्माण साल 1982 में शुरू किया गया था। जिसमे कि 116 गांवों को विस्थापित किया गया। और 12,000 से भी ज्यादा परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ गया। लेकिन विस्थापित ग्रामीणों को अभी तक कोई उचित मुआवजा नहीं दिया गया है किसी सरकार के द्वारा। इसके बाद ग्रामीणों द्वारा कई बार प्रोटेस्ट करी गई। प्रोटेस्ट का नतीजा ये निकला कि बिहार सरकार को 1990 से लेके 1998 तक chandil dam के निर्माण कार्य को रोकना पड़ गया।
फिर आता है साल 2,000 झारखण्ड बिहार से अलग हो गया। और झारखण्ड में आई नई सरकार ने डैम निर्माण को फिर से शुरू करवाया। करीब 10 सालो के बाद साल 2010 में ये डैम पूरी तरीके से बन के तैयार हो गया।

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